बलिया। प्रदेश में दो दिनों से बारिश का कहर जारी है। बलिया जिले में जलजमाव के चलते नाले में हुए सफाई कार्य और बहाव का जायजा लेने अधिकारियों के साथ निकले जिलाधिकारी की नाव फंस गई। इसके बाद डीएम ने नाव को कंधे पर उठाकर आगे ले जाने का निर्णय लिया तो CDO और एसडीएम को भी उनके इस फैसले में हामी भरनी पड़ी। आखिरकार सभी ने नाव को कंधे पर उठाया और 100 मीटर आगे पानी में डालकर फिर आगे बढ़े। इस घटनाक्रम का वीडियो भी सामने आया है।
सफाई का काम देखने पहुंचे थे डीएम संग अन्य अफसर
गुरुवार को डीएम एसपी शाही व सीडीओ विपिन जैन NDRF के जवानों के साथ जलमार्ग से भ्रमण करने पहुंचे। बांसडीह रोड क्षेत्र के छोड़हर से लेकर जीराबस्ती, बहादुरपुर, देवकली होते हुए परमन्दापुर तक गए। लेकिन, देवकली गांव के सामने पेड़ की डाल झुकने और उसके चलते भारी मात्रा में जलकुंभी फंसने के कारण नाव फंस गई।
नाव को खींचकर निकाला, फिर सिर पर उठाकर बढ़े आगे
कटहल नाले में देवकली गांव के सामने काफी ज्यादा मात्रा में जलकुंभी लगी होने पर बहाव भी बाधित था। एकबारगी तो ऐसा लगा कि आगे बढ़ पाना मुश्किल होगा। लेकिन, डीएम ने कहा कि कुछ भी यहां से आगे भी जाएंगे। NDRF ने सुझाव दिया कि यदि नाव को आगे पहुंचा दिया जाए तो भ्रमण नहीं रुकेगा। इसके बाद डीएम स्वयं नाव को बाहर निकालने के खींचने में जुट गए।
इसके बाद सीडीओ विपिन जैन, एसडीएम सदर राजेश यादव व डिप्टी कलेक्टर सर्वेश यादव भी जुटे। NDRF जवानों के साथ सभी अधिकारियों ने मिलकर नाव को खींचकर बाहर निकाला और फिर सिर पर उठाकर 100 मीटर तक ले गए। इसमें गांव के कुछ युवाओं ने भी काफी मेहनत की। वहां से आगे फिर पानी में नाव को डालकर आगे की यात्रा की गयी।
ग्रामीण की छत पर पहुंचे, नाले के रुके बहाव को देखा
नाव को निकालने के बाद डीएम देवकली गांव में परमात्मानंद ठाकुर के घर की छत पर पहुंचे। छत से नाले के रुके बहाव को देखा और नगर पालिका के ईओ को सफाई की जिम्मेदारी दी। यहां डीएम ने अफसरों के साथ चाय पर चर्चा की। डीएम की आमद पाकर गांव के प्रधान व अन्य लोग भी छत पर पहुंच गए। करीब आधे घंटे तक गांव के विकास पर चर्चा की गई।
अफसरों ने तलाशी टूरिज्म की संभावनाएं
डीएम एसपी शाही ने अफसरों के साथ टूरिज्म की संभावनाएं भी तलाशी। डीएम ने कहा कि, कटहल नाले के प्राकृतिक स्वरूप को बचाए रखने के साथ टूरिज्म की भी अपार संभावना है। वजह कि सुरहा ताल से गंगा नदी को यह नाला जोड़ता है। इसके दोनों तरफ पगडंडी बनाकर बोटिंग के माध्यम से इको टूरिज्म का प्रयास किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए बेहतर प्रोजेक्ट की आवश्यकता है, जिस पर पहल करने का प्रयास होगा।
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