नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। इसी के साथ कोर्ट ने किसानों के मुद्दों को निपटाने के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी भी बनाई है. इस कमेटी में भूपेंद्र सिंह मान (प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन), डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (इंटरनेशनल पॉलिसी हेड), अशोक गुलाटी (एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट) और अनिल धनवत (शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र) शामिल किये गए थे. लेकिन गुरूवार को भूपेंद्र सिंह मान ने कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट की गठित चार लोगों की टीम से खुद को अलग कर लिया है.
भारतीय किसान यूनियन द्वारा जारी एक प्रेस स्टेटमेंट में भूपिंदर सिंह मान की तरफ से कहा गया कि ‘केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों पर किसान यूनियनों के साथ बातचीत करने के लिए मुझे 4 सदस्यीय समिति में नामित करने को लेकर मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आभारी हूं. एक किसान और स्वयं एक यूनियन नेता के रूप में, किसान संघों और आम जनता के बीच भावनाओं और आशंकाओं को देखते हुए मैं पंजाब या किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए किसी भी पद को छोड़ने के लिए लिए तैयार हूं. मैं खुद को समिति से हटा रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा’.
बता दें कि कमेटी के गठन के बाद किसान संगठन इस कमेटी पर प्रो-गवर्नमेंट होने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने भी कमेटी पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस का कहना है कि कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक तौर पर पहले से ही निर्णय कर रखा है कि ये काले कानून सही हैं और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं. ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी?