गोरखपुर जिले के राजकीय बौद्ध संग्रहालय में सिक्कों पर सोने, चांदी, तांबे के अलावा मध्यकालीन सिक्कों की छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी का पण्डित दिनदयाल उपाध्यय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग अध्यक्ष डॉ. गोपाल प्रसाद ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इसमें नए पैसे के साथ ही मेडल के छायाचित्र भी लगाए गए थे।
आपको बता दें कि इतिहास के श्रोत के रूप में सिक्कों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसका आरंभ तब हुआ जब विभिन्न वस्तुओं का आदान-प्रदान करना जीवन की अनिवार्य जरूरत बन गई। धीरे-धीरे यही जरूरत विनिमय के रूप में व्यवस्थित हो गई। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो में प्राप्त विशाल भंडारों के अवशेष भी इसी ओर संकेत करते हैं कि ईसा पूर्व के तीसरी सहस्त्राब्दी तक विनिमय का माध्यम बन गया।
वही संग्रहालय के उपनिदेशक डॉ. मनोज गौतम ने बताया कि सिक्कों के प्रारंभ से लेकर वर्तमान में उनके ढालने की प्रक्रिया को छायाचित्रों के माध्यम से दर्शाने का अनूठा प्रयास किया गया है। इसमें प्राचीनतम सिक्कों के बनाने, उन पर चिन्ह अंकित करने की विधि को भी छायाचित्रों में दर्शाया गया है। भारतीय यवन सिक्के, कुषाण एवं गुप्त राजाओं के सिक्कों के साथ ही सातवाहनों के सिक्कों के छायाचित्र आकर्षण का केंद्र रहे।