पटना: देश में कहीं भी चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टीयां अपना फायदा और नुकशान देख कर साथी बनाते और बिगड़तें हैं। इस समय यही हाल बिहार की राजनीति में है। आने वाले कुछ दिनों में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसको लेकर तमाम राजनीतिक पार्टी चुनाव जीतने हर प्रकार का गणित लगाने में लगी हुई है। इसी राजनीतिक उठा-पटक में राज्य से लेकर केंद्र में किंग मेकर माने जाने वाले रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी भी चुनाव जीतने के लिए तमाम तरह की कोशिश करने में लगी हुई है एक तरह जहां लोजपा ने एनडीए से अपना गठबंधन तोड़ दिया है तो दूसरी तरफ वह चुनाव जीतने के लिए दूसरी पार्टीयों से गठबंधन बनाने में लगी हुई है।
बता दें कि लोजपा की अधिक सीटों की दावेदारी भाजपा ने मान ली थी और उसे 42 सीटें मिली थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी राजद-कांग्रेस के बीच ऐसी ही खटास पैदा हुई थी। कांग्रेस तब 12 सीटों का दावा कर रही थी और लेकिन उसे 9 सीटों पर समझौता करना पड़ा। एवज में मिलने वाली राज्य सभा की एक सीट भी उसे नहीं मिली। यही आधार है कि जदयू के अलग होने के बाद खाली हुई 101 सीटों में से वह अधिकतम अपने हिस्से चाहती है।
पार्टी मां के समान है और इससे ऊपर कुछ भी नहीं
लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होने को लेकर कहा कि हम हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं। उन्होंने चेताया कोई यह सोचता है कि हमें दबा देगा या अस्तित्व को मिटा देगा तो गलतफहमी में है। हम किसी सूरत में पार्टी हित से समझौता नहीं करने वाले। पार्टी हमारे लिए मां के समान है और पार्टी हित से ऊपर किसी व्यक्ति का कोई हित नहीं। अपने पिता की बातों को याद करवाते हुए चिराग ने कहा कि पापा हमेशा कहते रहे हैं कि सबसे ऊपर राष्ट्र और उसके बाद पार्टी तब व्यक्तिगत हित। ऐसे में लोजपा के हर कार्यकर्ता के लिए अपने व्यक्तिगत हित से ऊपर पार्टी का हित है।