Friday , September 29 2023

इस साल 11 और 12 अगस्त को मनाई जाएगी जन्माष्टमी

इस बार कृष्ण जन्माष्टमी  नक्षत्र दोनों एकसाथ नहीं 

भादो का महीना चल रहा है। भादो सावन की तरह त्योहारों का महीना माना जाता है। वहीं श्री कृष्ण का जन्मोत्सव के लिए तैयारियां भी तेज हो गई हैं। हालांकि इस बार कोरोना वायरस महामारी के कारण मंदिरों में बड़े आयोजन नहीं होगे। 11 अगस्त और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी मनाई जा रही है। हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखने के साथ ही भजन-कीर्तन और विधि-विधान से पूजा करते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय रात 12 बजे अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था।इसलिए इसी नक्षत्र और तिथि में जन्माष्टमी मनाई जाती है।

भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी को हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म

इस बार 11 अगस्त को जन्माष्टमी तिथि सुबह लग जाएगी, जो 12 अगस्त को सुबह 11 बजे रहेगी, वहीं रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को लग रहा है। ऐसे में सभी कंफ्यूज हैं कि 11 को पूजा औऱ व्रत करें या फिर 12 को। कई ज्योतिषियों ने इसके लिए बताया कि जब उदया तिथि हो यानी जिस तिथि में सूर्योदय हो रहा हो, उस तिथि को ही जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसलिए इस बार ज्योतिषियों के अनुसार जन्माष्टमी का दान 11 अगस्त को और 12 अगस्त को पूजा और व्रत रखा जा सकता है। 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है।

माना जाता है कि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था भगवान कृष्ण का जन्म

पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी। जन्माष्टमी पर इस बार वृद्धि संयोग बन रहा है, जो अति उत्तम हैं। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के त्योहार के बाद भगवना का छठी पूजन कार्यक्रम भी धूमधाम से होता है। इस दिन कान्हा जी की छठी मनाई जाती है और मंदिरों में प्रसाद वितरण किया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी मथुरा में हर्सो उल्लास के साथ मनाया जायेगा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए ग्रामीण इलाको से श्रद्धालु मथुरा पहुंचते हैं।