दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के बाद से मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो गया । 5 अगस्त को जब पीएम मोदी ने अयोध्या जाकर स्वयं भूमि पूजन के कार्यक्रम में हिस्सा लिया और मंदिर के जल्द से जल्द बनकर तैयार होने कि कामना की । गुरूवार को दिल्ली में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक हुई,जिसके बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने आम जनता से तांबे की छड़ और पत्तियां दान करने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण में 10 हज़ार छड़ों की आवश्कता होगी।
‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट ने ट्वीट कर मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों के लिए तांबे की पत्तियों को दान करने का आह्वान किया ट्रस्ट ने ट्वीट कर कहा कि,”मन्दिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लम्बी, 3 mm गहरी और 30 mm चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्रीरामभक्तों का आह्वान करता है कि तांबे की पत्तियां दान करें।”
https://twitter.com/ShriRamTeerth/status/1296346214623936515
ट्रस्ट ने आगे कहा ,”इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।”
इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) August 20, 2020
दान में आखिर तांबा ही क्यों ?
मंदिर निर्माण के लिए तांबा मांगे की भी एक विशेष वजह है,ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में उपयोग होने वाले धातुओं में तांबा और कांसे का नाम आता है। तांबा अधिक समय तक स्वयं को सुरक्षित रख सकता है ,क्योंकि निर्माण के दौरान तांबा सामान्यतः पानी से अभिक्रिया नहीं करता हैलेकिन धीरे-धीरे संयोग कर ऑक्साईड बना लेता ।
तांबे ऑक्साईड धातु के ऊपर एक परत बनाता है जो तांबे के ऑक्सीकरण को रोकता है। जिसके चलते निर्माण हजारों साल तक टिका रहता है। प्राचीन काल में भी ज़रूरी सन्देश या दस्तावेज तांबे पर ही लिखे जाते थे। आपको बता दे कि भवन निर्माण में तांबे का प्रयोग पहली बार नही किया जा रहा है, इसका उपयोग अमेरिका के प्रसिद्ध स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी में भी देखा जा सकता है।