श्रीनगर :जम्मू – कश्मीर के बदले हालात के बीच नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर की राजनीति को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास शुरू कर दिया है। बीते गुरुवार को अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी के उन चार नेताओं को अपने घर पर बुला कर बैठक की।
ऐसा माना जा रहा है कि ये मुलाक़ात अब्दुल्ला के सियासी दांव का एक हिस्सा था, जिसमें उन्हें कामयाबी हाथ नही लगी। उन्हें उम्मीद थी कि प्रदेश प्रशासन उन्हें ये बैठके करने की अनुमति नही देंगे।
जिससे वह सरकार पर आरोप लगा सकते थे कि सरकार ने कश्मीरी नेताओं पर अदालत में उनकी नजरबंदी व हिरासत को लेकर झूठ बोला है, लेकिन प्रशासन ने बैठक के अनुमित बिना किसी शर्त के दे दी थी। बैठक में पार्टी के चार नेताओं को बुलाया गया था।
अब्दुल्ला ने बैठक को केवल मुलाकात तक ही सीमित रखने की बात कही और कहा कि यह कोई सियासी बैठक नही थी, जब हमारे सरे नेता रिहा हो जाएंगे। उसके बाद ही कोई सियासी बात होगी। अब्दुल्ला ने केवल उन चार नेताओं को ही मिलने बुलाया था जो उनके अनुसार 16 नज़रबंद या हिरासत में रखे गए नेताओं में से थे। अब्दुल्ला इससे पहले इन नेताओं की रिहाई के लिए अदालत भी गएथे। अदालत में प्रदेश प्रशासन ने साफ कहा था कि किसी को भी नज़रबंद नही किया गया हैं।
कौन-कौन बैठक में शामिल
गुरुवार को हुई बैठक में नेशनल कांफ्रेंस के जिन चार नेताओं ने बैठक में हिस्स लिया,इनमे अली मोहम्मद सागर, नासिर असलम वानी, अब्दुल रहीम राथर और मोहम्मद शफी उड़ी शामिल थे। इसमें से किसी भी नेता ने यह नही कहा कि उन्हें कहीं रोका गया है।
इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि यह देखने के लिए कि सरकार का दावा सही है या गलत, कथित तौर पर हिरासत में रखे गए सभी नेताओं को बारी-बारी बैठक के लिए बुलाया जा रहा है। जिसके बाद उन उन्हीने ट्विट कर अपने नेताओं को कोरोना से बचने और 4 – 4 के बैच में बैठक में शामिल होने को कहा था।
The @JKNC_ President has taken cognizance of the reply submitted by the J&K administration in the High Court. Since no leader is under detention as claimed by the government, Dr Abdullah has invited his colleagues for a meeting in batches of 4 keeping in mind COVID precautions. https://t.co/xWFQ8RlSOM
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 19, 2020
क्या कहा फारूक ने बैठक के बाद
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बैठक के बाद फारूक अब्दुल्हा ने कहा कि आज की बैठक हमें यह देखने के लिए बुलाई थी कि क्या हमारे नेताओं को घर से बाहर निकलने की इजाजत मिलती है या नहीं। सरकार नेताओं की हिरासत और नजरबंदी पर झूठ बोल रही है। हमारे सभी नेता आजाद नहीं हैं। मैं तो चाहता हूं कि सभी सियासतदां ठीक उसी तरह आजाद होने चाहिए जैसे प्रेस है, लेकिन मीडिया भी कहां पूरी तरह आजाद है। फारूक ने कहा कि जब मुझे केंद्र सरकार संसद में शामिल होने की इजाजत देगी, उस समय देखना मैं क्या करता हूँ। अभी मैं कहीं आने जाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हूं।