लखनऊ: माफिया मुख्तार अंसारी के बेटों पर योगी सरकार ने एक मामले में कार्यवाही करते हुए। 2 दो मंजिला बिल्डिंग को जमींदोज कर दिया। जिसे मुख्तार अंसारी के बेटों ने अवैध से तरीके ज़मीन कब्ज़ा कर बिल्डिंग बनवाया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्तार अंसारी के बेटे उमर और अब्बास ने लखनऊ के जियामऊ इलाके में स्थित एक 8000 स्क्वॉयर फुट की ज़मीन पर अवैध तरीके से 2 दो मंजिला बिल्डिंग बना ली थी। एलडीए वीसी शिवाकांत ओझा ने बताया कि यह शत्रु/निष्करांत संपत्ति थी और जिसका मुकदमा एलडीए में चल रहा था।
#माफिया #मुख्तार अंसारी की अवैध संपत्ति पर लगातार चल रहा है #योगी सरकार का #बुल्डोजर.. #लखनऊ के डालीबाग इलाके में बना अवैध निर्माण ज़मीदोज़ किया गया । @myogiadityanath #mukhtaransari pic.twitter.com/w0laBdhGvk
— Vidrohi ANAND (@VidrohiANAND) August 27, 2020
क्या होतीं है शत्रु/निष्करांत संपत्ति
शत्रु/निष्करांत संपत्ति आसान भाषा में कहा जाये तो वह संपत्ति जिसका मालिक किसी दुश्मन देश का नागरिक हो या ऐसी संपत्ति जिसे पर युद्ध के बाद कब्ज़ा किया गया हो वह शत्रु/निष्करांत संपत्ति होती है। ऐसे मामलों में शत्रु देश के नागरिकों को इन जायदादों के रख रखाव के लिए कुछ अधिकार दिए जाते हैं। पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमरीका और ब्रिटेन ने जर्मनी के नागरिकों की जायदाद को इसी आधार पर अपने नियंत्रण में ले लिया था।
आपको बता दें कि इस केस में भी ऐसा ही हैं क्योंकि 1956 के पहले जो परिवार इस संपत्ति को कानूनी तरीके से छोड़कर पाकिस्तान चला गया था। उसी संपत्ति को हड़पकर मुख्तार अंसारी के परिवार ने इस पर बिल्डिंग खड़ी की थी। एलडीए के अधिकारीयों ने बताया कि इस बिल्डिंग का नक्शा भी पास नहीं था, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते बिल्डिंग बना ली गई थीं।
बिल्डिंग गिराने से पहले नोटिस भेजा था
एलडीए ने बिल्डिंग गिराने से पहले मुख्तार अंसारी के बेटों को नोटिस कर स्पष्टीकरण मांगा था। अंसारी के परिवार ने किसी प्रकार का स्पष्टीकरण नहीं दिया। जिसके बाद 27 अगस्त को एलडीए की ज्वॉइंट सेक्रेट्री ऋतु सुहास और सचिव मंगला प्रसाद,एडीसीपी हजरतगंज तकरीबन 200 पुलिसकर्मियों के साथ तड़के बिल्डिंग गिराने की कारवाही के लिए पहुंचे।
जानकारी के अनुसार लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पूरी बिल्डिंग को जमींदोज कर दिया,कारवाही के दौरान एलडीए, पुलिस प्रशासन समेत 200 से अधिक पुलिसकर्मी और 20 से अधिक जेसीबी मौजूद थी, जिसके बाद यह कारवाही की जा सकी। योगी सरकार ने कहा हैं कि जितने दिनों से यह बिल्डिंग बनी थी, उसका न सिर्फ किराया वसूला जाएगा, बल्कि इसे ढहाने में लगे खर्च को भी वसूला जाएगा।