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सोनिया गांधी: देश में बढ़ रहा है लोकशाही पर तानाशाही का प्रभाव

रायपुर: कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार फिर बिना किसी का नाम लिए केंद्र  सरकार पर निशाना साधा है। सोनिया ने सरकार पर आरोप लागते हुए कहा कि देश विरोधी और गरीब विरोधी ताकतें भारत में हिंसा और नफरत का जहर फैला रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि देश की लोकशाही (लोकतंत्र) पर तानाशाही का प्रभाव बढ़ रहा है। देश के जिन नेताओं ने देश की बुनियाद रखी उन नेताओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि आजादी के 75 साल बाद संविधान और लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा क्योंकि बुरी सोच अब हावी हो रही है। सोनिया ने कहा कि मौजूदा समय में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है और लोकतांत्रिक संस्थाएं बर्बाद हो रही हैं।

संविधान  भवनों से नहीं भावनाओं से बचेगा

छत्तीसगढ़ विधानसभा के नए भवन के शिलान्यास समारोह के मौके पर सोनिया ने विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि, “हमें याद रखना होगा कि हमारा संविधान इन भवनों से नहीं भावनाओं से बचा रहेगा। इन भवनों से दूषित और गलत भावनाओं के प्रवेश को रोकना होगा तभी हमारा संविधान बचेगा।”

उन्होंने आगे कहा, “आजादी की लड़ाई के दौरान हमने जो प्रण किया था उसे पूरा करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकि है। पिछले कुछ समय से लोकतंत्र के सामने नई चुनौतियां खड़ी हुई हैं। लोकतांत्रिक संस्थाएं ध्वस्त हो रही हैं। लोकशाही पर तानाशाही का प्रभाव बढ़ रहा है।”

15 साल बाद बनी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार

सोनिया गांधी ने भाषण के दौरान कहा कि, “15 वर्ष की लंबी अवधि के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी है। पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ में जो हुआ वह उदाहरण है कि एक दिशाहीन और विचारहीन सरकार जनहित के बारे में कभी नहीं सोच सकती। मुझे प्रसन्नता है कि हमारी सरकार सही दिशा में काम कर रही है।”

बता दें कि पिछले 15 साल से छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार थी उससे पहले सन 2000 जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था तब कांग्रेस ने चुनाव जीत कर सरकार बनाई थी और पूर्व कांग्रेसी नेता अजित जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने थे।

अपने भाषण में सोनिया ने किसी का नाम न लेते हुए कहा कि वे क्या चाहते हैं? वे लोगों की आवाज को दबाना चाहते हैं। वे युवाओं, आदिवासियों, महिलाओं, किसानों, दुकानदारों, छोटे व्यापारियों और जवानों का मुंह बंद रखना चाहते हैं। बुरी सोच अच्छी सोच पर हावी हो रही है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है।