लखनऊ: अखिलेश यादव सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में शुक्रवार को दो महीने के लिए अंतरिम ज़मानत दे दी। प्रजापति सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में लखनऊ जेल में बंद हैं।
कोर्ट ने बॉन्ड और शर्तों के साथ दी ज़मानत
गायत्री प्रसाद प्रजापति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अपनी अंतरिम बेल की अर्जी डाली थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ के जस्टिस वेद प्रकाश वैश्य ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए पांच लाख रुपया के पर्सनल बॉन्ड तथा दो जमानतदारों की शर्त पर 2 महीने की अंतरिम बेल को मंजूर दी। 2 महीने बाद गायत्री प्रसाद प्रजापति को सरेंडर करना पड़ेगा। कोर्ट की शर्त है कि वह अंतरिम जमानत के दौरान देश छोड़कर बाहर नहीं जाएंगे। गायत्री को 3 साल में पहली बार जमानत मिली है। इस अंतरिम जमानत के लिए गायत्री को 3 साल 5 महीना 20 दिन का इंतजार करना पड़ा। बता दें कि गायत्री ने 15 मार्च 2017 को सरेंडर किया था।
स्वस्थ संबंधी दिकतों के बाद मिली ज़मानत
गायत्री ने अपनी बेल एप्लिकेशन में हार्ट, इंफेक्शन इत्यादि की स्वस्थ संबंधी दिक्कतें बताई थी। यह बेल लखनऊ के गौतम पल्ली थाने में दर्ज रेप के मुकदमे में मिली है। बताते चलें कि गायत्री प्रसाद प्रजापति इस समय अपना इलाज पीजीआई में करा रहे हैं। वहीं कोर्ट ने ज़मानत देते हुए साफ कहा है कि जमानत पर बाहर रहने के दौरान गायत्री द्वारा किसी भी तरह से पीड़ित परिवार को न डराया जाएगा न ही धमकाया जाएगा साथ ही किसी भी तरह से उन्हें प्रभवित नही किया जाएगा।
2017 में दर्ज हुआ था प्रजापति के ख़िलाफ़ सामूहिक दुष्कर्म का केस
उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के खिलाफ 2017 में सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था। केस में तीन जून, 2017 को गायत्री के अलावा छह अन्य लोगों पर चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसके बाद 18 जुलाई, 2017 को लखनऊ की पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने सातों आरोपियों पर केस दर्ज करने का आदेश दिया था।