नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (11 सितंबर ) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 (NEP-2020) के तहत ” 21 वीं सदी में स्कूली शिक्षा” पर एक सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल के अलावा कोई अन्य मंत्री भी रहे उपस्थित।
सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे पिछले चार-पांच वर्षों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है। लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए शिक्षकों से मांगे गये थे सुझाव
पीएम मोदी ने बताया कि कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में देश भर के शिक्षकों से #MyGov पर उनके सुझाव मांगे थे। इसमें शिक्षा मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं। शिक्षकों की ओर से मिले सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे।
कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में देश भर के शिक्षकों से #MyGov पर उनके सुझाव मांगे थे। एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं। ये सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे: PM pic.twitter.com/l1q1nlUIYr
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 11, 2020
देश की पारंपरिक कलाओं को समझे विद्यार्थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की पारंपरिक कलाओं की बात करते हुए कहा कि ” हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं। स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में दौरा करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? इससे विद्यार्थियों की जिज्ञासा बढ़ेगी और जानकारी भी।”
हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं। स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में दौरा करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? इससे विद्यार्थियों की जिज्ञासा बढ़ेगी और जानकारी भी: पीएम मोदी pic.twitter.com/QFN1JXSoOJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 11, 2020
उन्होंने आगे कहा, हमें अपने छात्र को 21वीं सदी की स्किल्स के साथ आगे बढ़ाना है। 21वीं सदी की स्किल्स ये होंगी- क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलैबोरेशन, क्यूरोसिटी और कम्युनिकेशन। हमें एक वैज्ञानिक बात समझने की जरूरत है कि भाषा शिक्षा का माध्यम है, भाषा ही सारी शिक्षा नहीं है। जिस भी भाषा में बच्चा आसानी से सीख सके, वही भाषा पढ़ाई की भाषा होनी चाहिए।