Saturday , September 30 2023
हिटलर, ट्रंप और मारुति बाबा बढ़ा रहे हैं माघ मेले की शोभा
हिटलर, ट्रंप और मारुति बाबा बढ़ा रहे हैं माघ मेले की शोभा

हिटलर, ट्रंप और मारुति बाबा बढ़ा रहे हैं माघ मेले की शोभा

प्रयागराज। सदियों से ही संगम की रेती न्यारी रही है। यहां माघ मेला, कुंभ व महाकुंभ जैसे आयोजन होते रहते हैं, जिसमें जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति की संकल्पना साकार करने के लिए संत और कल्पवासी साधना में लीन रहते हैं। यहां भजन-कीर्तन और पूजा पाठ के जरिए आराध्य को रिझाने का क्रम चलता है। अब 2021 की शुरुआत में भी प्रयागराज में संगम तट पर विशाल माघ मेला चल रहा है। हालांकि यहां रोचक और विचित्र नाम वाले बाबा सुर्खियों में हैं। संगम तट पर आपको हिटलर बाबा या ट्रंप बाबा नाम सुनाई दे तो आश्चर्यचकित न हों, क्योंकि यह यहां आए साधुओं के उपनाम हैं।

दरअसल, माघ मेले में कई ऐसे संत आए हैं, जिनके नाम बेहद ही रोचक और विचित्र हैं। इनमें संतों में दिगंबर अनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर माधव दास भी हैं। जिन्हें हिटलर बाबा कहा जाता है। महामंडलेश्वर माधव दास को उनके सख्त स्वभाव के कारण शिष्य उन्हें ‘हिटलर’ बाबा के नाम से बुलाते हैं।  बाबा माधव दास को हठी स्वभाव के कारण उनके गुरु रघुवर दास ने ये नाम उन्हें दिया था। महामंडलेश्वर माधव दास कहते हैं कि मैंने हमेशा वहीं किया जो मुझे सही लगता। मैं अपने निर्णय के प्रति अडिग रहा। जिससे गुरु ने उनको हिटलर बाबा नाम दिया।

कंचनदास जी महाराज ने 2004 में संन्यासी जीवन चुन लिया था

वहीं यहां एक ट्रंप बाबा भी हैं। इनका असली नाम कंचनदास जी महाराज है। कंचनदास जी महाराज ने अच्छी पढ़ाई की है। उन्होंने एम.कॉम उपाधि हासिल की, लेकिन 2004 में संन्यासी जीवन चुन लिया था। वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। उनका कद-काठी और चेहरा कुछ अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मेल खाता है। डोनाल्ड ट्रंप जब अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे तो कंचनदास जी महाराज ने उनकी हर गतिविधि में गहरी रुचि ली थी। मसलन कंचनदास जी महाराज के गुरू ने उनका उपनाम ट्रंप बाबा ही रख दिया।

असली नाम रामदास त्यागी महाराज है

एक और बाबा हैं, जो अपने उपनाम को लेकर चर्चा में हैं। इनका असली नाम रामदास त्यागी महाराज है। लेकिन इन्हें धुंधकारी बाबा कहकर बुलाया जाता है। रामदास त्यागी महाराज का नाम धुंधकारी बाबा रखने जाने की वजह ये थी कि वह पूजापाठ के बजाय आश्रम की व्यवस्था में ज्यादा रूचि रखते थे। इसके अलावा भी श्रीराम मारुति धाम काशी के पीठाधीश्वर जगदीश दास को उनके शिष्य मारुति बाबा कहकर बुलाते हैं।