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Hathras: गैंगरेप मामले में विपक्ष का CM योगी पर निशाना, कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल

हाथरस: उतर प्रदेश के हाथरस जिले में गैंगरेप की शिकार दलित लड़की आखिरकार 12 दिन बाद जिंदगी से जंग हार गई। मंगलवार तीन बजे तड़के उसने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोड़ दिया। 14 सितंबर को दरिंदों ने गैंगरेप के बाद उसकी जीभ काट दी थी, रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी। वह बाजरे के खेत में बेहोश मिली थी।

मामला यूपी के हाथरस का है जहां दो सप्ताह पहले एक दलित लड़की गैंगरेप का शिकार हुईवह 12 दिन तक अस्पताल में वेंटीलेटर थी। उसकी जीभ काट दी गई थी। रीढ़ की हड्डी टूटी हुई थी। जिस्म पर कई गहरे जख्म थे। दुपट्टे से उसका गला घोटा गया अपराधी उसे मरा जानकर छोड़ा गए थे। जब उससे होश आया तो वह अपना दर्द बयां नही कर पा रही थी।

14 सितंबर की है घटना

परिवार के अनुसार, 14 सितंबर को सुबह-सुबह पीड़िता, उसका बड़ा भाई और मां गांव के जंगल में घास काटने गए थे। जब घास की एक गठरी बंध गई तो बड़ा भाई उसे लेकर घर चला आया। मां और बेटी खेत में अकेले रह गए। मां आगे घास काट रही थी। बेटी पीछे कुछ दूर उसे इकट्ठा कर रही थी। इसी दौरान चारों अभियुक्तों ने पीड़िता के गले में पड़े दुपट्टे से उसे बाजरे के खेत में खींच कर उसके साथ गैंगरेप किया।

 Hathras: गैंगरेप मामले में विपक्ष का CM योगी पर निशाना, कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल
 

उस दिन की घटना के बारे में पीड़िता का भाई बताता है, ‘मां ने बहन को आवाजें दी तो उसका कोई जवाब नहीं आया। पहले उन्हें पानी देने के लिए बनाई गई मेढ़ में उसके चप्पल दिखे, फिर बाजरे के टूटे पौधे दिखे तो वो खेत में अंदर गईं जहां बीस मीटर भीतर वो बहुत ही बुरी हालत में बेहोश पड़ी हुई थी। मां चिल्लाई तो कुछ बच्चे आए, उन्होंने उन्हें तुरंत लोगों को बुलाने और पानी लाने भेजा। बच्चे मेढ़ में भरा पानी पॉलीथीन में भरकर लाए। वो उसके मुंह पर डाला लेकिन उसे होश नहीं आया।’

वो बताते हैं, मेरी मां और भाई उसे तुरंत थाने गए और तहरीर दी। तब तक ये नहीं पता था कि किसने हमला किया है। कितने लोग थे और उसके साथ क्या हुआ है। पीड़िता के पिता बताते हैं, ‘वो दरिंदे खेत के चक्कर लगा रहे थे। लेकिन मेरी बेटी और पत्नी उनके इरादे को भांप नहीं पाए। उन्होंने मेरी बेटी को घात लगाकर शिकार बनाया। उन्हें किसी का डर नहीं था।

पुलिस की भूमिका और कार्यशैली पर उठे सवाल

हाथरस पुलिस ने अब तक इस मामले में संदीप, रामकुमार, लवकुश और रवि नाम के चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। चारों ही तथाकथित उच्च जाति के है। हालांकि दलित संगठनों का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में लीपापोती करने की कोशिश की।

पहले सिर्फ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया। एक ही व्यक्ति को अभियुक्त बनाया गया। दस दिनों तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया। जब दलित नेता चंद्रशेखर ने ट्वीट किया और अलीगढ़ जाने का ऐलान किया तब अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। गैंगरेप की धारा भी बाद में जोड़ी गई। हालांकि पुलिस का कहना है कि परिवार ने जो शिकायत दी थी उसी के आधार पर पहला मुकदमा दर्ज किया गया था और बाद में पीड़िता के बयान के आधार पर गैंगरेप का मुकदमा दर्ज किया गया।

पीड़िता को अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां पुलिस 19 सितंबर को उसका बयान लेने के लिए पहुंची थी। यानी घटना के पांच दिन बाद। उस दिन पीड़िता की हालत गंभीर थी और वो अपना बयान दर्ज नहीं करा सकी थी। फिर 21 और 22 सितंबर को सर्किल ऑफिसर और महिला पुलिस कर्मी पीड़िता का बयान लेने पहुंचे थे।

विपक्ष ने योगी सरकार पर साधा निशाना

आप नेता संजय सिंह ने कहा, ‘योगी जी आपकी सरकार कहां है? छोटी-छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार करके उनकी निर्मम हत्या कर दी या SSP रंगदारी मांगता है, नहीं मिलने पर हत्या करा देता है. अभी भी खुलेआम घूम रहा है. हाथरस की गुड़िया तो इस दुनिया से चली गई योगी जी और कितनी गुड़िया ऐसी दरिंदगी का शिकार होंगी?’

वहीं, शिवसेना नेत्री प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘दर्दनाक! हैवानियत की हद्दों को पार करने वाली ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना के सभी आरोपियों को सख्त सजा मिले, यह सरकार से मांग है. यूपी सरकार के मीडिया सलाहकार और स्पेलिंग मास्टर दूसरों को ट्रोल करने की बजाय और पुराने स्क्रीन्शॉट ट्वीट करने से ध्यान हटाकर इंसाफ़ के लिए लड़ेंगे, यह उम्मीद है.’

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