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Pitru Visarjan Amavasya 2020: आज है पितृ विसर्जन अमावस्या, जानें पितरों को विदा करने का मंत्र

नई दिल्ली: एक पक्ष अर्थात् लगातार 15 दिनों तक चलने वाले परम पवित्र पितृपक्ष का समापन आज गुरुवार 17 सितम्बर को हो रहा है. आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपैत्री अमावस्या, पितृ विसर्जन अमावस्या, महालया अमावस्या और सर्व पितृ अमावस्या के नामों से जाना जाता है क्योंकि ज्ञात-अज्ञात समस्त पितरों की सन्तुष्टि हेतु तर्पण आदि का कार्य इसी अमावस्या को संपन्न होता हैं. जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु-तिथि ज्ञात न हो, ऐसे लोग अपने पितरों की तृप्ति हेतु अमावस्या को पिण्ड-दान का कर्म कर सकते हैं. माता-पिता सहित पितरों की क्षय-तिथि ज्ञात न होने पर पितृपक्ष की अमावस्या को एकोदिष्ट श्राद्ध करना चाहिए.

श्राद्ध का समय

ज्योतिषाचार्य चक्रपाणी भट्ट का कहना है कि इस श्राद्ध का समय शास्त्र के अनुसार, दिन में 10 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक अमावस्या सर्वपैत्री श्राद्ध का समय उत्तम माना गया है. इसी समय के अन्दर श्राद्ध-कर्म करें. यथाशक्ति पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराना अति श्रेयस्कर होता है. यदि सौभाग्यवती स्त्री का श्राद्ध-तर्पण करना हो, तो श्राद्ध के बाद ब्राह्मण के साथ सौभाग्यवती ब्राह्मणी को भोजन कराकर यथाशक्ति वस्त्र आदि देकर अमावस्या श्राद्ध को पूर्ण करना चाहिए.

श्राद्ध विधि एवं मंत्र

नदी या सरोवर के तट पर शुद्ध मन से संकल्प पूर्वक पितरों को काला तिल के साथ तिलांजलि देनी चाहिए, जिसका मन्त्र इस प्रकार है.

“ॐ तत अद्य अमुक गोत्र: मम पिता अमुक नाम वसु स्वरूप तृप्यताम इदम सतिलम जलम तस्मै नम:”

इसी प्रकार क्रम से कहते हुए अपने पिता, पितामह ,प्रापितामह को तीन-तीन अंजली जल काले तिल के साथ देकर तर्पण करना चाहिए. तत्पश्चात् पितरों को प्रणाम कर प्रार्थना करें.

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