लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लखनऊ यूनिवर्सिटी के शताब्दी वर्ष दिवस समारोह के समापन कार्यक्रम में बुधवार को प्रतिभाग किया। पीएम मोदी ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के 100 साल पूरा होने पर बधाई दी। पीएम मोदी ने एक विशेष स्मारक डाक टिकट और भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी विशेष कवर भी जारी किया। पीएम मोदी ने लखनऊ विश्वविद्यालय के नाम पर 100 रुपए का सिक्का भी जारी किया।
बता दें कि मैसूर यूनिवर्सिटी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी तीसरी ऐसी यूनिवर्सिटी है जिसके 100 वर्ष पूरे होने पर स्मारक सिक्का जारी किया गया। इस सिक्के को मुंबई में सरकारी टकसाल में ढाला गया है, यह लखनऊ यूनिवर्सिटी के खजाने में एक संपत्ति होगी। सिक्का ढलाई में चांदी, कांस्य, तांबा और निकल का इस्तेमाल किया गया है। इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही अन्य मंत्री भी ऑनलाइन जुड़े रहे। एक हफ्ते से चल रहे कार्यक्रम के अंतिम दिन पद्मश्री मालिनी अवस्थी, सुरेश कुमार खन्ना, क्रिकेटर सुरेश रैना, राजीव कुमार, जूही चतुर्वेदी, डॉ नरेश त्रेहन को सम्मानित किया गया। इस दौरान दैनिक जागरण के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक प्रशांत मिश्र को भी सम्मनित किया गया।
लखनऊ यूनिवर्सिटी का मिजाज आज भी लखनवी है : पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि यूनिवर्सिटी का मिजाज लखनवी है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी ने कई प्रतिभाओं को निखारा। यहां के छात्रों की आंखों में चमक दिखती है। लखनऊ हम पर फिदा और हम फिदा-ए-लखनऊ। टैगोर लाइबेर्री और कैंटीन केसमोसे और बन मक्खन याद रहता है। आज एकादशी है, देव जागरण का दिन है। लखनऊ यूनिवर्सिटी दशकों से लोगों को शिक्षित कर रही है। पीएम मोदी ने कहा कि 100 वर्ष का समय सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है। इसके साथ अपार उपलब्धियों का एक जीता जागता इतिहास जुड़ा है। 100 साल की इस यात्रा में यहां से निकले व्यक्तित्व राष्ट्रपति पद पर पहुंचे, राज्यपाल बने।
विज्ञान का क्षेत्र हो या न्याय का, राजनीतिक हो या प्रशासनिक, शैक्षणिक हो या सांस्कृतिक या फिर खेल का क्षेत्र, हर क्षेत्र की प्रतिभाओं को लखनऊ विश्वविद्यालय ने संवारा है। पीएम मोदी ने कहा कि 100 साल की यात्रा में अनेक लोगों ने अनेक प्रकार से योगदान दिया, वो सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं, मैं आज के दिन उन सभी का अभिनंदन करता हूं। पीएम ने कहा कि आज हम देख रहे हैं कि देश के नागरिक कितने संयम के साथ कोरोना की इस मुश्किल चुनौती का सामना कर रहे हैं। देश को प्रेरित और प्रोत्साहित करने वाले नागरिकों का निर्माण शिक्षा के ऐसे संस्थानो में ही होता है। लखनऊ यूनिवर्सिटी दशकों से अपने इस काम को बखूबी निभा रही है।
यहीं पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आवाज गूंजी थी : पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि यहीं पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आवाज गूंजी थी। लखनऊ यूनिवर्सिटी से अनगिनत लोगों के नाम जुड़े हैं। सभी का नाम लेना संभव नहीं है। सौ साल की यात्रा में सभी ने अहम योगदान दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि जब भी यहां से पढ़कर निकले लोगों से बात करने का मौका मिला है, यूनिवर्सिटी की बातें करते हुए वह लोग उत्साहित हो जाते हैं, तभी तो लखनऊ हम पर फिदा है।
बदलते समय के साथ बहुत कुछ बदला लेकिन लखनऊ यूनिवर्सिटी का मिजाज लखनवी ही है। यूनिवर्सिटी सिर्फ उच्च शिक्षा का ही केंद्र नहीं होती, ये ऊंचे संकल्पों, ऊंचे लक्ष्यों को साधने की एक बहुत बड़ी ऊर्जा भूमि होती है। ये हमारी भीतर की ताकत को जगाने की प्रेरणा स्थली भी है। पीएम ने कहा आज हम देख रहे हैं कि देश के नागरिक कितने संयम के साथ कोरोना की इस मुश्किल चुनौती का सामना कर रहे हैं। देश को प्रेरित और प्रोत्साहित करने वाले नागरिकों का निर्माण शिक्षा के ऐसे संस्थानो में ही होता है। लखनऊ यूनिवर्सिटी दशकों से अपने इस काम को बखूबी निभा रही है।
लविवि का इतिहास और भूगोल दोनों गौरवमयी : राजनाथ
पीएम मोदी से पहले रक्षामंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि लखनऊ यूनिवर्सिटी के 100 साल भारतीय शिक्षा जगत की ऐतिहासिक घटना है। भारत के सबसे पुराने संस्थानों में से एक है। भारतीय राजनीति स्वतंत्रता आंदोलन के समय ये यूनिवर्सिटी बनीं। जब कोई संस्था सौ साल पूरे करती है, जब कोई संस्थान लम्बे समय तक टिका रहा तो तय है कि नींव मजबूत थी।
राजनाथ ने कहा कि डॉ. बीरबल साहनी से पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा यहां रहे। स्टीव जॉब्स एपेल संस्थापक भी नीम करौरी बाबा के भक्त थे। बाबा नीम करौरी का मंदिर यूनिवर्सिटी के सामने है। लविवि का इतिहास और भूगोल दोनों गौरवमयी है। मैं अपने शिक्षा मंत्री काल में यहां आता था। आज कोविड की बड़ी चुनौती है। युवा कोरोना वॉरियर्स रहे हैं। हमने आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया है।
नई शिक्षा नीति कहती है- हाउ टू थिंक : राजनाथ
राजनाथ सिंह ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समारोह को संबोधित किया। एक हफ्ते से चल रहे कार्यक्रम के अंतिम दिन कई शख्सियतों को सम्मानित भी किया गया। रक्षामंत्री ने कहा कि आत्म निर्भर भारत धनवान, ज्ञानवान और चरित्रवान भी होगा। स्वामी विवेकानन्द कहते थे कि हमारे देश मे संस्कृति व्यक्ति को बनाती है। आप आगे बढ़ेंगे तो भारत आगे बढ़ेगा। आपके साथ भारत की संस्कृति है। हम बड़े सुधार कर रहे हैं।
हम बड़े बदलाव कर रहे हैं। हम पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनेंगे। हम कई बड़े सुधार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति दी है। हमारी शिक्षा नीति का उद्देश्य व्हाट टू थिंक था। अब हमारी नीति कहती है हाउ टू थिंक। लखनऊ यूनिवर्सिटी की स्थापना के 100 साल पूरा होना जहां हम सभी के लिए प्रसन्नता का विषय है, वहीं यह भारतीय शिक्षा जगत की एक ऐतिहासिक घटना भी है। इन 100 वर्षों में लखनऊ यूनिवर्सिटी से एक से एक महान शख़्सियत पढकर आगे बढ़े हैं।
ऐसा है लखनऊ यूनिवर्सिटी का इतिहास
लखनऊ यूनिवर्सिटी के इतिहास की बात करें तो साल 1864 के आखिरी दशक में एक स्कूल शुरू किया गया जो बाद में कैनिंग कॉलेज में बदला। साल 1920 में कैनिंग कॉलेज जब लखनऊ विश्वविद्यालय में परिवर्तित किया गया तब राजा महमूदाबाद की इस भूमि पर उच्च शिक्षा का ये बड़ा केंद्र शुरू हो चुका था। इस विश्वविद्यालय में शुरुआत में छह विभाग होते थे, जिनमें भाषा के उच्च ज्ञान को प्राथिमकता दी गई थी। इसमें हिंदी, संस्कृत, फारसी मुख्य थे। धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते आज लखनऊ यूनिवर्सिटी में विभागों की संख्या 50 हो चुकी है।