दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति और स्वर्गीय नेता प्रणब मुखर्जी की किताब द प्रेसिडेंशियल इयर्स मार्केट में आ चुकी है। इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस नेतृत्व के बारे में प्रणब दा ने जिक्र किया है। पीएम मोदी के लिए इस किताब में प्रणब दा ने लिखा है कि उन्होंने असहमति की आवाज सुननी चाहिए और विपक्ष को समझाने कोशिश करनी चाहिए। यह कितन प्रणब मुखर्जी के संस्मरण का आखिरी हिस्सा है।
इस किताब में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। किताब में कांग्रेस नेतृत्व पर प्रश्न खड़े किए गए हैं तो वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को लेकर बेहद खास बात लिखी गई है। प्रणब दा ने लिखा है कि अगर वो वित्तमंत्री बने रहते तो यूपीए 2 में ममता बनर्जी को जरूर शामिल कर लेते।
अपनी किताब में प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि संकट के समय पार्टी का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को अलग दृषिटकोण विकसित करना होता है और ऐसा उस वक्त हो नहीं पाया। मालूम हो कि ममता बनर्जी और प्रणब दा के रिश्ते पहले से ही काफी मधुर थे, प्रणब मुखर्जी को अपना बड़ा भाई मानने वाली ममता बनर्जी ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा था कि आज उन्होंने अपना बड़ा भाई खो दिया है।
यूपीए से एकमत ना होने पर लिया था समर्थन वापस
दरअसल साल 2012 में ममता बनर्जी ने यूपीए-2 सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, क्योंकि वो एफडीआई, सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर और पेट्रोल-डीजल के लगातार दाम बढ़ने को लेकर यूपीए एकमत नहीं थीं, इसके लिए उन्होंने कई बार सरकार को चेताया था लेकिन सरकार ने उनकी तब सुनी नहीं थी, जिसके बाद ममता बनर्जी यूपीए-2 से अलग हो गई थीं, उस वक्त वित्त मंत्रालय पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के ही पास था।
कांग्रेस से करिश्माई नेतृत्व गायब
इसके साथ ही प्रणब मुखर्जी ने अपनी बुक में लिखा है कि साल 2014 में कांग्रेस पार्टी ने अपने करिश्माई नेतृत्व की पहचान नहीं की और यही उसकी करारी हार का कारण था। उन्होंने कांग्रेस की लचरता की वजह से ही यूपीए सरकार एक मध्यम स्तर के नेताओं कि सरकार बन कर रह गई है। साथ ही उन्होंने लिखा है कि पार्टी के अंदर पंडित नेहरू जैसे कद्दावर नेताओं की कमी है, जिनकी पूरी कोशिश यही रही कि भारत एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित हो।
कांग्रेस पार्टी को बढ़िया नेतृत्व नहीं मिला
उन्होंने 2014 चुनावों के नतीजों पर निराशा जताते हुए लिखा है कि इस बात की राहत थी कि देश में निर्णायक जनादेश आया, लेकिन यह यकीन कर पाना मुश्किल था कि कांग्रेस सिर्फ 44 सीट जीत सकी। इसके पीछे प्रणब मुखर्जी ने बहुत सारे कारण गिनाए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी को बढ़िया नेतृत्व नहीं मिला इसी वजह से पार्टी की ये दुर्दशा चुनाव में हुई।
सदन में उपस्थिति का अहसास कराने में असफल मोदी
प्रणब दा ने अपनी किताब में कहा कि चाहे जवाहलाल नेहरू हों, या फिर इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी अथवा मनमोहन सिंह, इन सभी ने सदन के पटल पर अपनी उपस्थिति का अहसास कराया। उनके मुताबिक,अपना दूसरा कार्यकाल संभाल रहे प्रधानमंत्री मोदी को अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से प्रेरणा लेनी चाहिए और संसद में उपस्थिति बढ़ाते हुए एक नजर आने वाला नेतृत्व देना चाहिए ताकि वैसी परिस्थितियों से बचा सके जो हमने उनके पहले कार्यकाल में संसदीय संकट के रूप में देखा था।