ओडिशा के पुरी में 12वीं सदी में स्थापित श्री मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने बुधवार को भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के ‘‘नवयौवन’’ स्वरूप के दर्शन किए। 30 जून को मंदिर के कपाट खुलने के बाद सुबह नौ बजे से साढ़े दस बजे तक ही आम श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति दी गई। श्रद्धालुओं ने करीब दो साल के बाद भगवान के इस स्वरूप के दर्शन किए क्योंकि कोविड-19 महामारी की वजह से उनके एकत्रित होने पर पाबंदियां लागू थीं। राज्य सरकार ने कोविड-19 के मामलों में कमी आने के बाद लोगों को मंदिर में आने की अनुमति दी है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह नहीं चाहते कि कोविड के मामलों में एक बाद फिर से उछाल आए। इसलिए सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जमीनी स्तर पर सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया जाए।
राज्य सरकार ने कोरोना मामलों बढ़ने से रोकने के लिए टीकाकरण अभियान को तेज करने का फैसला लिया है, जिसके मद्देनजर स्वास्थ्य शिविर खोले गए हैं। चूंकि 90 प्रतिशत से अधिक लोगों का टीकाकरण पूरा हो चूका है, इसलिए शिविरों में कम ही लोग दिखाई दे रहे हैं। भीड़ को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, बस टर्मिनलों पर टीकाकरण प्रमाण पत्र सत्यापित करने के लिए चौकियां भी स्थापित की हैं। इसके अलावा, रथ यात्रा खत्म होने तक 1.2 मिलियन से अधिक मास्क मुफ्त में बाँटे जायेंगे।
राज्य सरकार ने साफ़ कर दिया है कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने वालों को ही रथ पर जाने की अनुमति दी जाएगी। त्योहार को सुचारू रूप से चलाने के लिए और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ, आरएएफ, ओडीआरएफ, तटरक्षक बल, स्वास्थ्य विभाग, नगर पालिकाओं जैसी प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के विभिन्न विंग मॉक ड्रिल कर रही है। जगन्नाथ यात्रा के दौरान कोविड मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, इसलिए सरकार ने 57 अस्पतालों को तैयार रखने के लिए कहा गया है।