लखनऊ। कृषि बिल के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सियासत तेज है। दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर बवाल के बाद शुरू हुई कार्रवाई को लेकर तमाम विपक्षी दलों ने सरकार को घेराना शुरू कर दिया है। इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया है कि किसानों के समर्थन में संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण का उनकी पार्टी बहिष्कार करेगी। मायावती ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर दंगे की आड़ में निर्दोष किसान नेताओं का बलि का बकरा न बनाया जाए।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि बसपा ने देश के आन्दोलित किसानों के तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं मानने व जनहित आदि के मामलों में भी लगातार काफी ढुलमुल रवैया अपनाने के विरोध में, राष्ट्रपति के संसद में होने वाले अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।
साथ ही, कृषि कानूनों को वापस लेकर दिल्ली आदि में स्थिति को सामान्य करने का केन्द्र से पुनः अनुरोध तथा गणतंत्र दिवस के दिन हुए दंगे की आड़ में निर्दोष किसान नेताओं को बलि का बकरा न बनाए। इस मामले में यूपी के बीकेयू व अन्य नेताओं की आपत्ति में भी काफी सच्चाई। सरकार ध्यान दे।
अखिलेश भी बीजेपी सरकार पर हमलावर
बता दें, इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसान नेता राकेश टिकैत को फोन कर उनका हालचाल जाना। बातचीत में राकेश टिकैत ने अखिलेश यादव को सेहत का हाल बताया है। बता दें किसान नेता राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन खत्म करने से इनकार कर दिया है। प्रशासन के बात करने पर भी उन्होंने अपना फैसला बदलने से मना कर दिया। देर रात गाजियाबाद के दो एडीएम और दो एसपी राकेश टिकैत से बात करने मंच पर पहुंचे थे। एडीएम शैलेन्द्र ने बताया कि वो उनकी तबियत पूछने आए थे अभी तक किसी तरह की कार्यवाही शुरू नहीं है।
फोन पर बात करने के बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट कर बताया कि अभी राकेश टिकैत जी से बात करके उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। बीजेपी सरकार ने किसान नेताओं को जिस तरह आरोपित व प्रताड़ित किया है, वो पूरा देश देख रहा है। आज तो बीजेपी के समर्थक भी शर्म से सिर झुकाए और मुंह छिपाए फिर रहे हैं। आज देश की भावना और सहानुभूति किसानों के साथ है।