अमेठी। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। यह पंक्तियां मुसाफिरखाना तहसील क्षेत्र के नारा अढ़नपुर पूरे निहाल दुबे गांव निवासी इन्द्रेश शुक्ला पर सटीक बैठती हैं। सूबेदार पद से सेवानिवृत्त राज बहादुर शुक्ला के पुत्र इन्द्रेश ने भी सेना में पिता से बड़े ओहदे पर पहुंच देश की सेवा करने की ठान ली और परीक्षा की तैयारियों में जुट गए।
वर्ष 2015 व 2016 में इन्द्रेश को असफलता मिली।
फिर भी हार नहीं मानी और अपने अपने इरादे को मजबूत करते हुए मिशन में लगे रहे। आखिरकार तीसरी बार सफलता ने कदम चूम ही लिए। इन्द्रेश ने भारतीय टेक्निकल आफीसर की परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए देशभर में 37वीं रैंक पाकर साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हो तो मंजिल आसान हो जाती है। इन्द्रेश चार वर्ष की ट्रेनिग पूरी कर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद को सुशोभित कर गांव व जिले को गौरवान्वित कर रहे हैं।
सेना के अनुशासन ने किया प्रेरित
इन्द्रेश शुक्ला की मानें तो वह अपने पिता के साथ बटालियन के कार्यक्रमों में शिरकत करते थे। वहां, पर सेना के छोटे-बड़े अधिकारी शामिल होते थे। अधिकारियों की वर्दी, सेना के अनुशासन व काम करने के तरीके को देखकर प्रभावित हुए, जिससे सेना में जाने की रुचि बढ़ती गई और पिता जी से बड़े ओहदे पर सेना में काम करने का प्रण किया।
गया व सिकंदराबाद में ट्रेनिग
भारतीय सेना में चयन होने के बाद इन्द्रेश ने आफीसर ट्रेनिग अकादमी गया में एक वर्ष तक बेसिक मिलिट्री की ट्रेनिग की। उसके बाद सिकंदराबाद तीन वर्ष तक इलेक्ट्रानिक्स मैकेनिकल व इंजीनियरिग की ट्रेनिग पूरा की। ट्रेनिग पूरा होने के बाद गत वर्ष 12 दिसंबर 2020 को सेना की सर्विस कोर बटालियन में लेफ्टिनेट कर्नल रैंक पर कमीशन मिला।