नई दिल्ली: महिलाओं की खूबसूरती को अक्सर उनके रंग से जोड़कर देखा जाता है। आमतौर पर गोरे रंग वाली लड़कियों को सुंदर माना जाता है और सांवली लड़कियों को समाज में दोयम दर्जे का समझा जाता है। हालांकि समय के साथ यह धारणा बदल गई है लेकिन कुछ बॉलीवुड एक्ट्रेसेस को भी इस रंगभेद से गुजरना पड़ा है।
हाल ही में शाहरुख खान की बेटी सुहाना को भी उनके सांवले रंग की वजह से सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। उन्हें काली और चुड़ैल तक कहा गया जिसका सुहाना ने करारा जवाब भी दिया। बॉलीवुड में और भी एक्ट्रेसेस हैं जिन्हें अपने सांवले रंग की वजह से आलोचना का सामना करना पड़ा लेकिन इससे घबराए बिना उन्होंने अपना मुकाम बनाया।
प्रियंका चोपड़ा
इंटरनेशनल सेलिब्रिटी बन चुकीं प्रियंका चोपड़ा भी अपने सांवले रंग की वजह से रंगभेद की शिकार हो चुकी हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा था, मुझे रोल देने से इसलिए मना कर दिया गया था कि मैं कुछ ज्यादा ही ब्राउन हूं। रंगभेद से निपटने का तरीका एक ही है कि अपने काम से खुद को इतना प्रूफ कर दें कि सामने वाला आपके साथ टेबल पर बैठने को राजी हो जाए, मैं अपने देश में भी अपने काम के दम पर ही टिकी थी। मेरा काम बोलता है।
बिपाशा
बिपाशा बसु को भी सांवले रंग की वजह से बचपन से ही ताने सुनने को मिले। इसका जिक्र उन्होंने सोशल मीडिया पर किया था। बिपाशा ने लिखा था, ‘जब मैं बड़ी हो रही थी तो मैंने अक्सर सुना कि मैं काली और सांवली हूं। जबकि मेरी मां भी डस्की ब्यूटी थीं और मैं काफी हद तक उनकी तरह ही लगती थी। मुझे कभी पता नहीं चला कि मेरे रिश्तेदार इस बारे में चर्चा क्यों करते थे’।
जब मैं 15,16 साल की थी तब मॉडलिंग शुरू की। मैंने सुपरमॉडल कॉन्टेस्ट जीता था हर न्यूजपेपर में खबर थी कि कोलकाता की सांवली लड़की विनर बनी। मैंने फिर सोचा कि मेरे नाम का पहला विश्लेषण सांवली क्यों है फिर मैं न्यूयॉर्क और पेरिस गई मॉडलिंग करने के लिए और मुझे एहसास हुआ कि मेरे स्किन कलर के लिए मुझे यहां ज्यादा काम और ध्यान मिलता है। ये मेरी अलग खोज थी।
रेखा
रेखा शुरुआती दिनों में सांवली और मोटी हुआ करती थीं। बॉलीवुड में रेखा को 1970 में फिल्म ‘सावन भादो ‘ में पहला ब्रेक मिला लेकिन उन्हें अपने सांवले रंग के कारण काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी जिसके बाद रेखा ने अपने लुक्स में जबरदस्त बदलाव किया। कहा जाता है कि इसके लिए उन्होंने स्किन लाइटनिंग ट्रीटमेंट लिया था। रेखा आज भी अपने समय की अभिनेत्रियों में सबसे ग्लैमरस और खूबसूरत नजर आती हैं।
नंदिता दास
फायर जैसी बेहतरीन फिल्म में नजर आ चुकीं नंदिता भी अपने सांवले रंग के चलते परेशान रहीं। उन्हें इसी वजह से कई प्रोजेक्ट्स से हाथ धोना पड़ा। नंदिता दास ने एक बार कहा था, ‘हम अक्सर रंगभेद का शिकार होते रहते हैं। लोग कहते रहते हैं कि वह गोरी है। जैसे कि डार्क स्किन होना अच्छी बात नहीं है। फिल्मों और गानों में भी इसी बात को बढ़ावा दिया जाता है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि गानों ने भी रंगभेद को बढ़ावा देने में अपना भरपूर योगदान दिया है। अक्सर गानों के बोल गोरे रंग की ओर ही इशारा करते हैं।
गानों में कलाइयां हमेशा गोरी ही रही हैं। गोरा रंग काला न पड़ जाए, गोरे रंग पर इतना गुमान कर, गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा जैसे गीतों से लेकर चिट्टियां कलाइयां वे, जैसे कई गाने हैं, जिसे सुनकर लोगों के जेहन में खूबसूरती की परिभाषा केवल गोरा रंग होकर रह गई है।