नई दिल्ली : भारत में 16 जनवरी से कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान को शुरू किया जा रहा है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की फैक्ट शीट में इस बात की पूरी जानकारी दी गई है. कहा गया है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन के क्या संभावित साइट इफेक्ट्स हो सकते हैं और इसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है.
वैक्सीनेशन के बाद कुछ हल्के लक्षण मिल सकते हैं
सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड के लिए फैक्ट शीट में कहा गया है कि वैक्सीनेशन के बाद कुछ हल्के लक्षण देखने को मिल सकते हैं.
- जैसे कि इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द और सूजन,
- सिर दर्द,
- थकान, मांसपेशियों में दर्द,
- बेचैनी,
- पायरेक्सिया,
- बुखार,
- जोड़ों में दर्द और उलटी महसूस होना.
फैक्ट शीट के मुताबिक, वैक्सीनेशन के बाद ऐसे लक्षण दिखने पर पैरासिटामोल जैसी आम पेनकिलर दी जा सकती है.
वहीँ फैक्ट शीट में ये भी कहा गया है कि कोविशील्ड लगाने के बाद डिमाइलेटिंग डिसऑर्डर के भी कुछ मामले देखे गए हैं.
हालांकि इनकी संख्या बहुत कम है और इनका वैक्सीन से कोई ख़ास लेना देना नहीं हैं.
वहीँ कीकोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक की फैक्ट शीट के मुताबिक, इंजेक्शन लगने के बाद सिर दर्द, थकान, बुखार, कंपकंपी और सर्दी- खांसी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं.
भारत बायोटेक का कहना है कि वैक्सीन के कोई आसामान्य साइड इफेक्ट्स नहीं हैं.
वैक्सीन के पहले दुसरे व तीसरे चरण के ट्रायल में कोई गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं.
डिमाइलेटिंग डिसऑर्डर क्या है
हमारे शरीर की तन्त्रिका कोशिकाएं मायलिन (Myelin) नाम की एक सुरक्षात्मक परत से ढकी होती हैं.जो मस्तिष्क को संदेश भेजने में मदद करती है. मायलिन को नुकसान पहुंचाने वाली स्थितियों को डिमाइलेटिंग डिसऑर्डर कहते हैं.
फैक्ट शीट में कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की समस्या वाले लोगों को कोविशिल्ड बहुत सावधानी से दी जानी चाहिए.
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया में ब्लड प्लेटलेट्स असामान्य रूप से कम हो जाते हैं.